सम्भाल लेना जिंदगी है ।
टूटती सांसों को फिर,
जोड़ लेना जिंदगी है ।
जिंदगी जिन्दादिली है,
इसे आंसुवो में ना डुबोना ।
हो बुरा चाहे वक्त कितना,
आस को थामे तुम रखना ।
वो इन्सान क्या जिसके कदम,
बंहके नहीं दीवानगी में ।
गलतियाँ उससे ना हो,
भटके नहीं आवारगी में ।
होश जो खोये नहीं,
रूप की मदहोसियों में ।
जाम लबों तक जाकर,
छलकाए ना बेहोशियों में ।
हर वक्त नहीं सिथिर रहता,
हालात बदलते रहते हैं ।
हर एक कदम जो उठते हैं,
दूरी वो घटाते रहते हैं ।
जो बिगड़ गया उस पर रोना,
है नहीं उचित इंसानों को ।
थक कर मंजिल से पीछे हटाना,
है उचित नहीं मस्तानों को ।
© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2010 विवेक मिश्र "अनंत" 3TW9SM3NGHMG
क्या आपने हिंदी ब्लॉग संकलक हमारीवाणी पर अपना ब्लॉग पंजीकृत किया है?
जवाब देंहटाएंअधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें.
हमारीवाणी पर ब्लॉग पंजीकृत करने की विधि
मेरा कहना है : हर वक्त नहीं सिथिर रहता ..... हालात बदलते रहते हैं.
जवाब देंहटाएंआपने सही कहा दीपक बाबा
जवाब देंहटाएंआपके अनुसार पोस्ट संशोधित कर दी... पुन: स्वागत ही आपका ।
बहुत खूब विवेक भाई!
जवाब देंहटाएंज़िंदगी रहती नहीं सदा एक सी,
रहना हर मंजर के लिए तैयार चाहिए।