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शुक्रवार, 30 जुलाई 2010

पांडव बन कर रहें....

दोस्तों यदि आपको अपने जीवन में सफल होना है तो आपको पांडव बनना होगा अर्थात :-
  1. युधिष्ठिर :- युद्ध में स्थिर रहने वाला धर्म ,विवेक , बैराग्य।
  2. भीम      :- दृढ संकल्प, बल ।
  3. अर्जुन    :- एकाग्रता, एकनिष्ठा ।
  4. नकुल    :- कुलहीन ज्ञान ।
  5. सहदेव  :- लगन (भक्ति) ।
इस प्रकार हम अपने अन्दर सभी पांडवों के प्रतीक धर्म , संकल्प , एकाग्रता , ज्ञान और लगन को वास्तविक अर्थो में समाहित करना होगा क्योंकि बिना इन सभी को सम्मलित किये आप राष्ट्र को रोकने वाले 'धृतराष्ट्र' और उसके 'दु: ' नामधारी पुत्रों से लोहा नहीं ले सकते है ।

"काल का चक्र जब,
                          रच रहा कुचक्र हो ।
और उससे बचने का ,
                          हो ना कोई रास्ता ।
द्वार सब बंद हो ,
                         और रास्ते भी तंग हों ।
बढ़ रहा कुचक्र हो ,  
                         चल रहा नित चक्र हो ।
                                           तब
बचने को काल से ,
                         दो ही हैं रास्ते ।
रोंक दो चक्र को ,
                        और तोड़ दो कुचक्र को।
या तोड़ दो चक्र को ,
                         और रोंक दो कुचक्र को ।
फिर ना कोई चक्र होगा ,
                          ना ही कुचक्र होगा ।।"
 ध्यान रहे कि कुरुक्षेत्र की लडाई केवल द्वापर तक सीमित ना रहकर आज भी हमारे जीवन की दिन प्रतिदिन की घटना है ।
  

1 टिप्पणी:

  1. कुरुक्षेत्र की लड़ाई अनवरत जारी रहेगी..जब तक इन्सान है-पापा और पुण्य-धर्म अधर्म की खींचा तानी मची रहेगी.

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ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "

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