मेरी डायरी के पन्ने....

गुरुवार, 9 फ़रवरी 2012

जाने किसने बुलाया है...

ये जाने किसने बुलाया है , ये किसका आमंत्रण आया है ।
कुछ भूली बिसरी यादों से , ये कहीं निकल कर आया है ।
निश्चित इस पर नाम मेरा , और पता भी इस पर मेरा है ।
फिर भी अंजानेपन का क्यों , मेरे मन में अभी बसेरा है ।
सन्देश लिखा है इस पर इतना , मैंने मै को बुलाया है ।
जाने किसके मै ने मेरे , मै को स्वयं में बसाया है ।
संग लिखा हुआ है इस पर , बस मुझको ही बुलाया है ।
नहीं जगह घर में दो की , नहीं तुमको गया बुलाया है ।
आओगे यदि चलकर तुम , कपाट बंद ही पाओगे ।
लेकिन अपने घर से तुम , ना खली लौट के जाओगे ।
बना प्रश्न चिन्ह है केवल , नाम पते पर प्रेषक में ।
मै भी रोमांचित हूँ , शामिल होने को आमंत्रण में ।
जाने किसके मै ने मुझको , अपने मै में घेरा है ।
कौन है वो जो इतना ज्यादा, अपनेपन से मेरा है ।
सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

1 टिप्पणी:

स्वागत है आपका
मैंने अपनी सोच तो आपके सामने रख दी,आपने पढ भी ली,कृपया अपनी प्रतिक्रिया,सुझावों दें ।
आप जब तक बतायेंगे नहीं.. मैं जानूंगा कैसे कि... आप क्या सोचते हैं ?
आपकी टिप्पणी से हमें लिखने का हौसला मिलता है।
पर
तारीफ करें ना केवल मेरी,कमियों पर भी ध्यान दें ।
अगर कहीं कोई भूल दिखे,संज्ञान में मेरी डाल दें ।
आभार..
ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "

(हिन्दी में प्रतिक्रिया लिखने के लिए यहां क्लिक करें)