मेरी डायरी के पन्ने....

बुधवार, 8 फ़रवरी 2012

एक शब्द..

बस एक शब्द ही काफी है , भाव भंगिमा बदलने को ।
बस एक शब्द ही काफी है , रिश्तो की दिशा बदलने को ।
हर एक शब्द सक्षम है , किसी वाक्य का अर्थ बदलने में  ।
हर वाक्य भी सक्षम है , अभिव्यक्ति का भाव बदलने में  ।
सोचो कैसा अवसर है , और तुमको क्या कहना है यहाँ ।
है कौन शब्द नैसर्गिक और , है भाव कौन उपयुक्त यहाँ ।

किस मोड़ पर जाने अनजाने , तुमने किससे क्या बोला था ।
वो चाह रहा था सुनना क्या , और तुमने उससे क्या बोला था ।
है नहीं जरूरी शब्द सदा , अभिव्यक्ति को तेरे सम्बल दे ।
है नहीं जरूरी वाक्य सदा , भाव एक सा हर पल दे ।
महत्वपूर्ण है शब्द चयन , और वाक्य में कैसे पिरोया गया ।
कब किससे क्या कहना था , कैसे उन शब्दों को बोला गया ।

चूक गए यदि उचित शब्द , चूक जाओगे अवसर से  ।
बोले गए हर शब्दों का , परिणाम पाओगे जीवन से ।


सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

1 टिप्पणी:

स्वागत है आपका
मैंने अपनी सोच तो आपके सामने रख दी,आपने पढ भी ली,कृपया अपनी प्रतिक्रिया,सुझावों दें ।
आप जब तक बतायेंगे नहीं.. मैं जानूंगा कैसे कि... आप क्या सोचते हैं ?
आपकी टिप्पणी से हमें लिखने का हौसला मिलता है।
पर
तारीफ करें ना केवल मेरी,कमियों पर भी ध्यान दें ।
अगर कहीं कोई भूल दिखे,संज्ञान में मेरी डाल दें ।
आभार..
ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "

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