मेरी डायरी के पन्ने....

मंगलवार, 12 जुलाई 2011

आधी रात..

आधा सच और आधी रात , कहाँ हो पाई पूरी बात ।
गगन में चाँद भी आधा है , और अभी जाने की है बात ।
कहो कब होगी पूरी बात , न जाने कब होगी मुलाकात ।
कहो कब वापस आऊ मै , रहे न दिल में कोई बात ।
अधूरी है जब तक मुलाकात , खटकती रहेगी मुझको बात ।
चैन से बीतेगी नहीं रात , अधूरी रहेगी जब तक बात ।

कहो तो रुक ही जाता हूँ , रात भर तुम्हे सताता हूँ ।
नींद कहाँ मुझको आयेगी , कहाँ तुम ही सो पाओगी ।
चलो मै रुक ही जाता हूँ , साथ मै तेरा निभाता हूँ ।
मिलाकर अपना आधा आज , बना लेते है कोई काज ।
कसक न रहे कोई दिल मै , समय है संग अभी अपने ।
कहाँ देखा है किसने कल , कहाँ कोई लौट के आया पल ।
 सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

1 टिप्पणी:

स्वागत है आपका
मैंने अपनी सोच तो आपके सामने रख दी,आपने पढ भी ली,कृपया अपनी प्रतिक्रिया,सुझावों दें ।
आप जब तक बतायेंगे नहीं.. मैं जानूंगा कैसे कि... आप क्या सोचते हैं ?
आपकी टिप्पणी से हमें लिखने का हौसला मिलता है।
पर
तारीफ करें ना केवल मेरी,कमियों पर भी ध्यान दें ।
अगर कहीं कोई भूल दिखे,संज्ञान में मेरी डाल दें ।
आभार..
ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "

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