मेरी डायरी के पन्ने....

मंगलवार, 25 जनवरी 2011

लहरों से डरकर , नौका पार नहीं होती..

वो अक्सर आते हैं मेरे ब्लॉग पर , अपने कदमो के निशां छोड़ जाते हैं ।
पर मै कभी समझ नहीं पाता , जाने क्यों बिना कुछ कहे चले जाते है ??

चलिए आप भले चुपचाप चले जाते हों.....
मै आज जहाँ गया था (ब्लागजगत से बाहर )
वहां कुछ मै पढ़ने को पाया ,
वो मेरे मन को भाया ,
मै उसे लिख कर संग ले आया ।
और अब उसे आप सभी से साझा करने का मन है... तो गौर करें...

" असफलता एक चुनौती है , स्वीकार करो ।
क्या कमी रह गयी देखो , और सुधार करो ।
जब तक ना सफल हो , नींद चैन को त्यागो तुम ।
संघर्षों का मैदान छोड़ कर , मत भागो तुम ।
कुछ किये बिना ही , जय-जयकार नहीं होती ।
कोशिश करने वालों की , कभी हार नही होती ।
लहरों से डरकर , नौका पार नहीं होती ।
मेहनत करने वालों की , कभी हार नही होती ।।"

तभी तो कहा गया है ...
वो पथ क्या पथिक परीक्षा  क्या , जिस पर फैले शूल ना हों ।
उस नाविक की धर्य परीक्षा क्या , जब धाराएँ प्रतिकूल  ना हों ।

2 टिप्‍पणियां:

स्वागत है आपका
मैंने अपनी सोच तो आपके सामने रख दी,आपने पढ भी ली,कृपया अपनी प्रतिक्रिया,सुझावों दें ।
आप जब तक बतायेंगे नहीं.. मैं जानूंगा कैसे कि... आप क्या सोचते हैं ?
आपकी टिप्पणी से हमें लिखने का हौसला मिलता है।
पर
तारीफ करें ना केवल मेरी,कमियों पर भी ध्यान दें ।
अगर कहीं कोई भूल दिखे,संज्ञान में मेरी डाल दें ।
आभार..
ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "

(हिन्दी में प्रतिक्रिया लिखने के लिए यहां क्लिक करें)