"चल पड़े मेरे कदम, जिंदगी की राह में, दूर है मंजिल अभी, और फासले है नापने..। जिंदगी है बादलों सी, कब किस तरफ मुड जाय वो, बनकर घटा घनघोर सी,कब कहाँ बरस जाय वो । क्या पता उस राह में, हमराह होगा कौन मेरा । ये खुदा ही जानता, या जानता जो साथ होगा ।" ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
मेरी डायरी के पन्ने....
▼
सोमवार, 17 जनवरी 2011
मौका..
बीसियों काम हैं बाकी , कहाँ से आ गए तुम भी । कहाँ मुश्किल थी कम पहले , उसी में आ गए तुम भी । लगी थी आग पहले से , सेंकने आ गए तुम भी । देख कर मौका एक अच्छा , लूटने आ गए तुम भी ।
चलो जब आ गए हो तो , करा लो खिदमत कुछ तुम भी । बह रही गंगा में हमसे , धुला लो हाथ अब तुम भी । ना जाने लौट कर कब फिर , तुम्हे मौका मिले फिर से । या तुमको भूल मै जाऊं , मिलाकर धुल में फिर से ।
स्वागत है आपका मैंने अपनी सोच तो आपके सामने रख दी,आपने पढ भी ली,कृपया अपनी प्रतिक्रिया,सुझावों दें । आप जब तक बतायेंगे नहीं.. मैं जानूंगा कैसे कि... आप क्या सोचते हैं ? आपकी टिप्पणी से हमें लिखने का हौसला मिलता है। पर तारीफ करें ना केवल मेरी,कमियों पर भी ध्यान दें । अगर कहीं कोई भूल दिखे,संज्ञान में मेरी डाल दें । आभार.. ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡 "अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "
वर्तमान का यही सत्य है।
जवाब देंहटाएं