मेरी डायरी के पन्ने....

रविवार, 24 अक्टूबर 2010

जो गिद्ध हैं प्रसिद्ध हैं, हम इन्सान हैं इसलिये परेशान हैं।

दोस्तों,
कुछ साल पहले की बात है, मै कुछ परेशान था, कुछ हैरान था, काम मै करता हूँ प्रसिद्ध कोई और पा जाता है। और फिर एक दिन मुझे मेरे गुरु ने बताया :-

जो गिद्ध हैं प्रसिद्ध हैं, हम इन्सान हैं इसलिये परेशान हैं"

उक्त गिद्ध ज्ञान को जान कर वास्तव में मेरी सभी चिंता परेशानी तिरोहित हो गयी और फिर मैंने तत्काल जगत कल्याण हेतु, गिद्ध ज्ञान साहित्य में इजाफा करने एवं माननीय गिद्धजनो से अपने राजनय सम्बन्ध मधुर करने हेतु कुछ लिखने का प्रयास किया था उसे पुन: आप लोगों के सामने इस आशय से प्रस्तुत कर रहा हूँ-

"भले ही एस.एम.कृष्णा एवं शाह महमूद कुरैशी आज तक 'भारत' और 'ना-पाक'के मध्य बेहतर राजनय सम्बन्ध बना पाने में अ-सफल रहे हो" पर शायद इससे हमारे और आपके राजनय सम्बन्ध बेहतर हो सकें -

जब जान रहे हो तुम जग में , गिद्ध ही होता सदा प्रसिद्ध ।
पूंछ रहे हो फिर क्यों मुझसे, क्यों सबसे ज्यादा गिद्ध प्रसिद्ध ?

लो सुनो आज बतलाता हूँ , मै तुमको राज सुनाता हूँ।
है गिद्ध की दृष्टि बहुत प्रबल , वह मौका सदा ताकता है।

मौका मिलते ही सबको , निश्चल मन से खा जाता है ।
बैर भाव या मैत्री जैसे , मन में भाव नहीं वो लाता है ।

उसके लिए जगत के सारे, प्राणी सब एक समान हैं ।
उसके लिए दुखों के क्षण भी, सुख के ठीक समान हैं।

लाभ अगर दिख जाय उसे, वह आगे सबसे आ जाता है ।
मौका मिलते ही वह पूरा, कूरा(हिस्सा) चट कर जाता है ।

बाट जोहने वालो को वह , खाली ठेंगा दिखलाता है ।
पता निशां भी पीछे अपने , नहीं छोड़ कर जाता है ।

अंतर्यामी होता हैं वह , और तीनो कालों का वो स्वामी ।
भूत भविष्य और वर्तमान का , मानव केवल अनुगामी ।

पहले भी बतलाया था , फिर से गिद्ध राग सुनाता हूँ ।
देकर ज्ञान सभी को यूँ ही , जग में प्रसिद्ध करवाता हूँ ।

सुनकर गिद्ध ज्ञान मानव , मुक्त दुखों से हो जायेगा ।
पुनर्जन्म लिए बिना जब , मानव-तन में गिद्ध समाएगा ।
जय हो बाबा गिद्धनाथ की............

गिद्ध साहित्य का प्रचार प्रसार पुन: आगे फिर होगा..
© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2010 विवेक मिश्र "अनंत" 3TW9SM3NGHMG

2 टिप्‍पणियां:

  1. 3/10

    गिद्ध भागवत ठीक से जमा नहीं

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  2. अगर कुछ पंक्तिया और लिख देते , इसमे गीधों के नाम लगा देते , स्वेत कपोत कोनो में छीप जाते,गीध आपकी छतों पर पहरा बेठा देते ....

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स्वागत है आपका
मैंने अपनी सोच तो आपके सामने रख दी,आपने पढ भी ली,कृपया अपनी प्रतिक्रिया,सुझावों दें ।
आप जब तक बतायेंगे नहीं.. मैं जानूंगा कैसे कि... आप क्या सोचते हैं ?
आपकी टिप्पणी से हमें लिखने का हौसला मिलता है।
पर
तारीफ करें ना केवल मेरी,कमियों पर भी ध्यान दें ।
अगर कहीं कोई भूल दिखे,संज्ञान में मेरी डाल दें ।
आभार..
ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "

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