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शुक्रवार, 30 जुलाई 2010

अंधेर नगरी

मित्रों,
         बचपन  में दादा जी के मुह से सुना था " अंधेर नगरी चौपट राजा, सवा सेर भाजी सवा सेर खाझा " पर क्या ये बात सिर्फ कहानियों तक ही सीमित है ? शायद नहीं , तो सुने ............. 
अंधकार का राज जहाँ हो,
                         आडम्बर पलता बढता है।
 मात्र दिखावा करने से ही,
                         जीवन यापन चलता है।
सच का होता मूल्य नहीं,
                         ना कोई पारखी होता है।
कोरे होते सिद्धांत सभी ,
                         आदर्श खोखला होता है।
नव पथ का होता श्रजन नहीं,
                         गणेश परिक्रमा होता है।
सच को झूंठ ,झूंठ को सच,
                         मनमाना निर्णय होता है।।
                     चाटुकारिता वहां पनपती,
                         तृप्त अहम् को मिलता है।
अपना हिस्सा पाने को,
                         बस गुप्त होड़ तब चलता है ।
आम को आम नहीं कहकर,
                         जग उसको इमली कहता है।
कुत्ते के पिल्लों को जग,
                         जंगल का राजा कहता है।
ऐसे चौपट राजा का ,
                         राज जहाँ भी चलता है।
वह राज्य छोड़ कर दूर कहीं,
                         बंजर में रहना अच्छा है।
© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2010 विवेक मिश्र "अनंत" 3TW9SM3NGHMG

3 टिप्‍पणियां:

  1. सार्थक व सराहनीय प्रस्तुती ,सत्य को उजागर करती शानदार पोस्ट ...

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  2. उत्‍तम: प्रयास:

    शोभनं काव्‍यम्

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स्वागत है आपका
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ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "

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