मेरी डायरी के पन्ने....

मंगलवार, 12 जून 2012

जो मैंने थोड़ी सी पी ली..

क्यों नाहक ही नाराज हो तुम , जो मैंने थोड़ी सी पी ली ।
पल भर दिल के रिश्तो की , थोड़ी सी हकीकत तो जी ली ।
ये कागज़ के फूलो की दुनिया , लगती भले सलोनी है ।
लेकिन दिल के रिश्तो की , मुश्किल से सजती डोली है ।
मुझको आता नहीं दिखावा , करना जग में मेरे यार ।
चेहरा छुपाकर चुपके से , करना पीठ पर कोई वार ।

मै जो करता प्यार किसी से , उसे बताता हूँ खुल कर ।
करता जो दुश्मनी कभी मै  , वो भी निभाता हूँ खुल कर ।
दिल में कुछ और बोलू कुछ , ये करना मुझको आता नहीं ।
कोई लाग-लपेट में भरमाये मुझे ,  ये भी मुझको भाता नहीं ।
सच को सच झूँठे को झूँठा , निर्भय हो कहना आता मुझको ।
अपनी कमिया आगे बढ , स्वीकार भी करना आता मुझको ।

जो बिना बात के बात बढाये , ईंट का जबाब पत्थर से पाए ।
दिल को जो भी मेरे दु:खाये , वो भी कष्ट प्रतिफल में पाए ।
जो एक कदम मेरे प्रति आता , मै आगे बढ़ सम्बन्ध निभाता ।
जो कदम हटाया तुमने पीछे , ततक्षण पीछे हटना मुझको आता ।
जो कहना है मै कह के रहूँगा , भले ही थोड़ी पी  ली है ।
तुम्हे भला लगे या लगे बुरा , मैंने तो हकीकत जी ली है ।


सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

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"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "

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