मेरी डायरी के पन्ने....

बुधवार, 30 अक्तूबर 2013

चंडूखाने (शोभन सरकार) की कहानी..

देश में थी दो दो सरकारे ।
हैरत सोती थी दो की दोनों सरकारे ।
एक को आया सोते-सोते सोने का सपना ।
सुन नींद में भागी दूजी लेकर कुदाल फावड़ा अपना ।
सोंचा सबने जो सपना सच हो जायेगा ।
सोने के भाव ताम्बे के बराबर हो जायेंगा ।

अपना रूपया डालर का बाप कहलायेगा ।
शोभन सरकार का नाम इतिहास में जायेगा ।
भारत सरकार फिर से चवन्नी का सिक्का चलाएगी ।
अपना देश अमीर हो फिर से सोने कि चिड़िया कहाएगी ।
मगर अफसोस न निकला सोना ।
दोनों सरकार का टूटा सपना ।

सब चंडूखाने(अफीम की दुकान) की हुयी कहानी ।
अब सुनाये दादा-दादी अपने बच्चो को कहानी.. ।

सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

गुरुवार, 17 अक्तूबर 2013

प्रेम के विरागो पर...

प्रेम के विरागो पर , चाहे जितने लगाओ पहरे ।
प्रेम सदा होता ही रहा , प्रेम सदा होता ही रहेगा ।
लैला-मंजनू ,हीर और राँझा , प्रेम के ही दीवाने थे ।
दुनिया वाले कुछ भी कहें , वो प्रेम के ही परवाने थे ।
जो भी प्रेमी बन बैठा , जग की कहाँ उसको है खबर ।
प्रेम दीवानों की दुनिया में , बेगानों की कहाँ बसर ।

प्रेम के विरागो पर , जब जब पुष्प नया खिलता है ।
अपनी महक से वो , जग को सुगन्धित करता है ।
यूँ तो उगते रहते काँटे , प्रेम पुष्प संग डालो पर ।
नहीं रोंक पाते है वो , कलियों को मुस्काने पर ।
पूरे होते है वो ख्वाब , जो सच्चे दिल से देखे जाते ।
तुम भी थोड़ा प्रेम करो , इसका अवसर बिरले पाते ।

यदि राह रोंक कर बैठ गए , जिद पर अपनी अंटक गए ।
दरवाजे बंद करके अपने , कुछ हाँसिल ना कर पाओगे ।
पहले भी प्रेम विरागो पर , जग ने लगाये थे पहरे ।
जब जब प्रेम ने करवट ली , बिखर गए सारे पहरे।
जब प्रेम पुष्प मुस्काता है , शीश झुंकाना पड़ता जग को ।
भारी बोझिल मन से सही ,  प्रेम अपनाना पड़ता जग को ।

 सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG